मधुर भावनाओं की सुमधुर
नित्य बनाता हूँ हाला
भरता हूँ इस मधु से अपने
अंतर का प्यासा प्याला ;
उठा कल्पना के हाथों से
स्वयं इसे पी जाता हूँ
अपने ही में हूँ साकी ,
पीने वाला , मधुशाला ।
मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीने वाला ,
किस पथ से जाऊँ? असमंजस
में है वो भोलाभाला ;
अलग अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूँ -
राह पकड़ तू एक चलाचल
पा जाएगा मधुशाला ।
चलने ही चलने में कितना
जीवन , हाय बिता डाला !
दूर अभी है , पर कहता है
हर पथ बतलाने वाला
हिम्मत है न बढ़ूँ आगे को ,
साहस है न फिरूँ पीछे ;
किंकर्तव्य विमूढ़ मुझे कर
दूर खड़ी है मधुशाला ।
मुख से तू अविरत कहता जा
मधु , मदिरा , मादक हाला
हाथों में अनुभव करता जा
एक ललित कल्पित प्याला
ध्यान किए जा मन में सुमधुर ,
सुखकर सुंदर साकी का ;
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको
दूर लगेगी मधुशाला ।
मदिरा पीने की अभिलाषा
ही बन जाये जब हाला ,
अधरों की आतुरता में ही
जब आभासित हो प्याला ;
बने ध्यान ही करते करते
जब साकी साकार , सखे
रहे न हाला , प्याला , साकी
तुझे मिलेगी मधुशाला ।
सुन कलकल , छल छल मधु -
घट से गिरती प्यालों में हाला ,
सुन , रुनझुन रुनझुन चल
वितरण करती मधु साकीबाला ;
बस आ पहुंचे , दूर नहीं कुछ ,
चार कदम अब चलना है ;
चहक रहे , सुन , पीनेवाले ,
महक रही, ले , मधुशाला ।
क्रमश
नित्य बनाता हूँ हाला
भरता हूँ इस मधु से अपने
अंतर का प्यासा प्याला ;
उठा कल्पना के हाथों से
स्वयं इसे पी जाता हूँ
अपने ही में हूँ साकी ,
पीने वाला , मधुशाला ।
मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीने वाला ,
किस पथ से जाऊँ? असमंजस
में है वो भोलाभाला ;
अलग अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूँ -
राह पकड़ तू एक चलाचल
पा जाएगा मधुशाला ।
चलने ही चलने में कितना
जीवन , हाय बिता डाला !
दूर अभी है , पर कहता है
हर पथ बतलाने वाला
हिम्मत है न बढ़ूँ आगे को ,
साहस है न फिरूँ पीछे ;
किंकर्तव्य विमूढ़ मुझे कर
दूर खड़ी है मधुशाला ।
मुख से तू अविरत कहता जा
मधु , मदिरा , मादक हाला
हाथों में अनुभव करता जा
एक ललित कल्पित प्याला
ध्यान किए जा मन में सुमधुर ,
सुखकर सुंदर साकी का ;
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको
दूर लगेगी मधुशाला ।
मदिरा पीने की अभिलाषा
ही बन जाये जब हाला ,
अधरों की आतुरता में ही
जब आभासित हो प्याला ;
बने ध्यान ही करते करते
जब साकी साकार , सखे
रहे न हाला , प्याला , साकी
तुझे मिलेगी मधुशाला ।
सुन कलकल , छल छल मधु -
घट से गिरती प्यालों में हाला ,
सुन , रुनझुन रुनझुन चल
वितरण करती मधु साकीबाला ;
बस आ पहुंचे , दूर नहीं कुछ ,
चार कदम अब चलना है ;
चहक रहे , सुन , पीनेवाले ,
महक रही, ले , मधुशाला ।
क्रमश
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